एनईसैक ने 24 जून से 5 जुलाई, 2024 तक केंद्रीय रेशम बोर्ड (सीएसबी) के वैज्ञानिकों के लिए ‘रेशम उत्पादन में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के अनुप्रयोग’ पर दो सप्ताह का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया। सीएसबी प्रायोजित प्रशिक्षण में देश भर के विभिन्न सीएसबी संगठनों के कुल 28 वैज्ञानिकों ने भाग लिया। कार्यक्रम में व्याख्यान, व्यावहारिक सत्र और क्षेत्र का दौरा शामिल था।
24 जून, 2024 को उद्घाटन सत्र की शुरुआत डॉ. बी.के. हैंडिक, प्रमुख, एएसडी के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद श्रीमती प्रतिभा ठाकुरिया दास, वैज्ञा./अभि.-एसएफ और पाठ्यक्रम निदेशक ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का अवलोकन किया। डॉ. एस.पी. अग्रवाल, निदेशक, एनईसैक ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए रेशम उत्पादन में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों के महत्व पर जोर दिया। एनईसैक के पूर्व निदेशक, डॉ. पी.पी. नागेश्वर राव ने मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई।
पाठ्यक्रम में 13 सैद्धांतिक कक्षाएं और 14 व्यावहारिक सत्र शामिल थे, जिसमें मल्टीस्पेक्ट्रल, माइक्रोवेव, हाइपरस्पेक्ट्रल और यूएवी रिमोट सेंसिंग को शामिल करते हुए बुनियादी से लेकर उन्नत स्तर तक के विषयों को शामिल किया गया। अतिथि व्याख्याता डॉ. पी.पी. नागेश्वर राव, पूर्व निदेशक, एनईसैक और डॉ. सिद्दीक अली अहमद, नोडल अधिकारी, समर्थ (SAMARTH), सीबीटी-सीएसबी ने क्रमशः “रिमोट सेंसिंग की मूल बातें” और “सिल्क समग्र II के तहत रेशम उत्पादन के विकास के लिए अग्रिम मार्ग” पर व्याख्यान दिए।
29 जून को प्रतिभागियों ने सोहरा का क्षेत्र दौरा किया। उन्हें रेशम उत्पादन से संबंधित छह छोटी परियोजनाएं भी सौंपी गईं, जिन्हें उन्होंने पाठ्यक्रम अवधि के दौरान पूरा किया।
समापन समारोह 5 जुलाई, 2024 को आयोजित किया गया, जिसमें ब्रिगेडियर राजीव कुमार सिंह (सेवानिवृत्त), प्रबंध निदेशक, उत्तर पूर्वी हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनईएचएचडीसी), मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस सत्र के दौरान पाठ्यक्रम पूरा होने के प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम का समापन डॉ. फ्रांसिस दत्ता, वैज्ञा./अभि.-एसडी और पाठ्यक्रम अधिकारी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।