उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एनईसैक) ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग, असम सरकार के सहयोग से 16 अगस्त, 2024 को श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र, गुवाहाटी में राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस-2024 मनाने के लिए एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम श्रीमंत शंकरदेव अंतर्राष्ट्रीय सभागार में हुआ और इसका उद्देश्य 23 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग की ओर ले जाने वाले भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की यात्रा को प्रदर्शित करना था। यह क्षेत्रीय कार्यक्रम एनईसैक द्वारा समन्वित 12 समान कार्यक्रमों की श्रृंखला का अंतिम कार्यक्रम है, जो 12 जुलाई, 2024 से आठ पूर्वोत्तर राज्यों और पश्चिम बंगाल में आयोजित गया था। इस कार्यक्रम में 28 स्कूलों और कॉलेजों के शिक्षकों के साथ लगभग 800 छात्रों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
सुश्री लोया मादुरी, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा जलवायु परिवर्तन विभाग, असम सरकार तथा श्री चंचल कुमार, सचिव, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि थे। दोनों ने इस तरह के आयोजन के लिए इसरो तथा एनईसैक को धन्यवाद दिया। सुश्री लोया मादुरी ने राज्य तथा क्षेत्रीय स्तर पर विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए असम सरकार की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। श्री चंचल कुमार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लाभों पर जोर दिया तथा कुछ उदाहरण दिए कि किस तरह एनईसैक के सहयोग से प्रौद्योगिकी का व्यावहारिक उपयोग किया जाता है।
इस कार्यक्रम में भारत के चंद्र मिशन, मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, सौर मंडल और ब्रह्मांड को समझने के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी आदि से संबंधित विषयों पर आमंत्रित व्याख्यान शामिल थे। श्री चयन दत्ता, परियोजना निदेशक, यूआरराव अंतरिक्ष केंद्र (यूआरएससी), बेंगलुरु ने चंद्रयान 3 मिशन पर बात की, जबकि श्री ए के सिन्हा, समूह निदेशक, मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र, बेंगलुरु ने भारत के आगामी गगनयान मिशन के बारे में बताया। प्रोफेसर श्री एमपी बोरा, भौतिकी विभाग, गुवाहाटी विश्वविद्यालय ने पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य प्रणाली के विज्ञान पर प्रकाश डालते हुए एक दिलचस्प व्याख्यान दिया। श्री गणेश मोहन, सहायक निदेशक, IN-SPACe (भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र) ने छात्रों को संबोधित किया और बताया कि किस प्रकार उद्योगों की बढ़ती भागीदारी के साथ भारतीय अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र बदल रहा है और यह हमारे देश की युवा पीढ़ी को अवसरों की भरमार प्रदान करता है। डॉ. बिभब के. तालुकदार, सीईओ, आरण्यक ने अपने व्याख्यान में बताया कि किस प्रकार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग असम में मानव-हाथी संघर्ष, बाढ़ प्रबंधन आदि जैसी कुछ महत्वपूर्ण सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए किया जा रहा है।
कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में एक अंतरिक्ष प्रदर्शनी भी आयोजित की गई, जिसमें एनईसैक और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरण विभाग, असम सरकार ने प्रक्षेपण वाहनों और उपग्रहों के विभिन्न मॉडल प्रदर्शित किए और साथ ही भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विभिन्न घटकों पर प्रकाश डालने वाले पोस्टर भी लगाए। कार्यक्रम के दौरान एनईसैक की ओर से स्पेस ऑन व्हील का भी प्रदर्शन किया गया। छात्रों ने कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और वैज्ञानिकों से बातचीत की तथा बड़े उत्साह के साथ अंतरिक्ष प्रदर्शनी का दौरा किया।