वानिकी और पारिस्थितिकी प्रभाग (एफईडी), एनईसैक द्वारा 02-13 दिसंबर, 2024 के दौरान एनईसैक आउटरीच सुविधा में “वानिकी और पारिस्थितिकी में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस अनुप्रयोग” पर दो सप्ताह का लघु पाठ्यक्रम आयोजित किया गया था। इस पाठ्यक्रम में कुल 27 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के वन विभागों के अधिकारी, सरकारी संस्थानों के संकाय, निजी कंपनियों के पेशेवर और शोध विद्वान शामिल थे। उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. कस्तूरी चक्रवर्ती, प्रमुख, एफईडी के स्वागत भाषण से हुई। श्रीमती एच. सुचित्रा देवी, पाठ्यक्रम निदेशक ने पाठ्यक्रम का अवलोकन किया और उसके बाद प्रतिभागियों का परिचय कराया। डॉ. बी. के. हैंडिक, प्रमुख, कार्यक्रम नियोजन एवं मूल्यांकन समूह ने प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा उन्हें वन पारिस्थितिकी तंत्र के विभिन्न अनुप्रयोगों जैसे वन प्रबंधन, वन सूची आदि में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के महत्व तथा उनके पेशेवर कैरियर में प्रशिक्षण की उपयोगिता के बारे में बताया।
पाठ्यक्रम में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस, जीपीएस की बुनियादी अवधारणाएँ और रिमोट सेंसिंग डेटा और संबंधित सॉफ़्टवेयर के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल था। पाठ्यक्रम में शामिल विशिष्ट विषय थे वन आवरण और घनत्व मानचित्रण, बढ़ते स्टॉक और बायोमास मूल्यांकन, वन्यजीव आवास मूल्यांकन, प्रजाति वितरण मॉडलिंग, दावाग्नि निगरानी और दग्ध क्षेत्र का मूल्यांकन। प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को यूएवी, हाइपरस्पेक्ट्रल और माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग जैसे उन्नत रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों का संक्षिप्त परिचय दिया गया। श्री हरीश सी चौधरी, पीसीसीएफ, कार्य योजना, अनुसंधान और प्रशिक्षण और जिला परिषद मामले, वन और पर्यावरण विभाग, मेघालय सरकार को “मेघालय में आरएस और जीआईएस का उपयोग करके वन प्रबंधन” पर एक व्याख्यान देने के लिए एक विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किया गया था।
उपग्रह चित्रों और उनके वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों से व्यवहारिक अनुप्रयोग प्रदान कराने के लिए, 7 दिसंबर, 2024 को सोहरा में एक फील्ड विजिट आयोजित की गई। प्रतिभागियों द्वारा छह लघु परियोजनाएं (समूहवार) संचालित किए गए। और प्रत्येक समूह के प्रमुख सदस्य द्वारा परियोजनाओं के परिणाम प्रस्तुत किए गए। 13 दिसंबर, 2024 को समापन समारोह में पाठ्यक्रम का सफल समापन हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को प्रशिक्षण पूरा करने के प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम का समापन डॉ. ध्रुव भावसार, पाठ्यक्रम अधिकारी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।