उन्होंने विश्वविद्यालय से कृषि इंजीनियरिंग में बी.टेक. की डिग्री, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली से स्नातकोत्तर और पी.एच.डी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग के क्षेत्र में आई.टी.सी/आई.एच.ई, नीदरलैंड से पश्च डॉक्टरेट अनुसंधान किया।
उन्होंने 1996 में आई.आई.आर.एस में अपना करियर शुरू किया और जल संसाधन प्रबंधन, आपदा प्रबंधन और हाइड्रोलॉजिकल प्रवृत्ति पर जलवायु परिवर्तन प्रभाव मूल्यांकन में रिमोट सेंसिंग और जी.आई.एस अनुप्रयोगों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने बड़े पैमाने पर हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग, सिंचाई जल प्रबंधन, मृदा क्षरण मूल्यांकन, हिमपात, बर्फ और ग्लेशियर गलन अध्ययन, बाढ़ मानचित्रण, निगरानी और बाढ़ पूर्व चेतावनी प्रणाली, अंटार्कटिका और आर्कटिक क्षेत्र में क्रायोस्फीयर अनुसंधान आदि को कवर करते हुए क्षेत्रीय और राष्ट्रीय परियोजनाओं का सफल नेतृत्व किया है। उन्होंने अनुसंधान अनुप्रयोगों और क्षमता निर्माण क्षेत्र में समूह की एकसाथ प्रगति में अनुकरणीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया।
2016- 2021 अवधि के दौरान एशिया और प्रशांत में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध केंद्र (सी.एस.एस.टी.ई.ए.पी) के कार्यक्रम समन्वयक के रूप में, डॉ. अग्रवाल ने एशिया प्रशांत क्षेत्र में अंतरिक्ष विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों में क्षमता निर्माण में क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने क्षेत्र के प्रतिभागियों के लिए शैक्षणिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, संयुक्त राष्ट्र ऐजेंसियों, भारत में विदेशी मिशनों और विदोशों में भारतीय मिशनों से बातचीत की। इन कार्यक्रमों में आई.आई.आर.एस, देहरादून तथा सैक और पी.आर.एल अहमदाबाद में आयोजित रिमोट सेंसिंग और जी.आई.एस, उपग्रह संचार, उपग्रह मौसम विज्ञान और वैश्विक जलवायु, अंतरिक्ष और वायुमंडलीय विज्ञान तथा जी.एन.एस शामिल थे।
डॉ. अग्रवाल अपने शिक्षण कौशल के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने आई.आई.आर.एस के विभिन्न क्षमता निर्माण के कार्यों में व्यापक योगदान दिया है, जिसमें उपयोगकर्ता विभागों, केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रालयों, विश्व विद्यालय संकाय आदि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल है। उनका सभी आई.आई.आर.एस शैक्षणिक कार्यक्रमों जैसे- एम.टैक (आर.एस और जी.आई.एस), एम.एससी (भू-सूचनात्मक), पीजी डिप्लोमा और अन्य प्रमाण पत्र पाठ्यक्रमों में प्रमुख योगदान रहा है। उन्होंने 26 एम.टैक छात्रों, 38 पी.जी डिप्लोमा छात्रों का पर्यवेक्षण किया है और 5 पी.एच.डी छात्रों का मार्ग दर्शन किया है।
उन्होंने कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त किए, जिसमें इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स ऑफ इंडिया (उत्तराखंड राज्य) शामिल है, जिसमें उन्हें क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए 2014 के लिए प्रख्यात इंजीनियर्स पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्होंने 2016 के लिए सोसायटी ऑफ रिमोट सेंसिंग (आई.एस.आर.एस) प्रेसिडेंट एप्रिसिएशन मेडल और 2018 के लिए आई.एस.आर.एस द्वारा उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित राष्ट्रीय भू-स्थानिक पुरस्कार प्राप्त किया। वह इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (भारत) और इंडियन एसोसिएशन ऑफ हाइड्रॉलिस्ट के अध्येता है।
डॉ. अग्रवाल कई वैज्ञानिक और प्रोफेशनल सोसायटीज़ के सक्रिय सदस्य है। वह इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ फोटोग्रामेट्री एंड रिमोट सेंसिंग (आई.एस.पी.आर.एस) ऑन एजुकेशन एंड आउटरीच (2016-2021) के तकनीकी आयोग के सचिव V के रूप में कार्यरत थे। उन्होंने 4 साल तक इंडियन सोसायटी ऑफ रिमोट सेंसिंग में सचिव और 2 साल तक कोषाध्यक्ष के रूप में सेवा की। वह वर्तमान में जर्नल ऑफ इंडियन सोसायटी ऑफ रिमोट सेंसिंग में प्रबंध संपादक के रूप में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने आयोजन सचिव के रूप में 53 देशों के लगभग 1000 प्रतिनिधियों के साथ अंतरिक्ष अनुप्रयोगोः मानव जीवन को स्पर्श करने पर रिमोट सेंसिंग (ए.सी.आर.एस-2017) पर एशियाई सम्मेलन का भी सफलतापूर्वक आयोजन किया था।
उनके पास सहकर्मी समीक्षा की गई अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय पत्रिकाओं और सम्मेलन की कार्यवाही में 150 से अधिक शोध प्रकाशन है। उन्होंने 4 पुस्तक अध्याय और 19 तकनीकी रिपोर्ट भी लिखी है। उन्होंने सम्मेलनों और बैठकों में भाग लेने के लिए कई देशों का दौरा किया है जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और सहयोग को मज़बूत करने में मदद मिली है।