उत्तर पूर्वी अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (एन.ई-सैक) के सबसे महत्वपूर्ण अधिदेशों में से एक शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक कल्याण और अन्य विकासात्मक गतिविधियों में सहायता के लिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एन.ई.आर) में विकासात्मक संचार कार्यक्रम शुरू करने के लिए उपग्रह संचार (सैटकॉम) प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग है। सैटकॉम अनुप्रयोग कार्यक्रम चिकित्सा और स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं का प्रावधान, आपदा प्रबंधन के दौरान आपातकालीन संचार सहायता आदि प्राथमिकता से विश्वविद्यालय स्तर तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रसार को संबोधित कर सकते हैं। इन सबकी पूर्ति के लिए, इसरो के पास टेलीमेडिसीन, टेली-एजुकेशन, आपदा प्रबंधन में संचार सहायता आदि जैसे कई जीवंत सैटकॉम अनुप्रयोग कार्यक्रम है। एन.ई-सैक अन्य केंद्र/राज्य सरकार की एजेंसियों, गैर-सरकारी संगठनों आदि के सहयोग से एन.ई.आर के सभी आठ राज्यों में उपरोक्त सभी अनुप्रयोग कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और उपयोग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उपग्रह संचार अनुप्रयोग
एन.ई-सैक में उपलब्ध सैटकॉम सुविधाएं इस प्रकार हैः
- सामग्री निर्माण और विकास कार्यक्रमों के प्रसारण के लिए अत्याधुनिक स्टूडियों सुविधा।
- अं.वि./इसरो केंद्रों के बीच वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा ट्रांसफर गतिविधियों के लिए इसरोनेट (ISRONET) प्रणाली।
- आपदा प्रबंधन और विभिन्न प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम में संचार सहायता के लिए ऑडियों विडियों लिंक और डेटा ट्रांसफर गतिविधियों को प्रदान करने के लिए परिवहन योग्य डब्ल्यू.एल.एल-वीसैट(WLL-VSAT) प्रणाली।
- आपदा प्रबंधन में संचार सहायता के लिए इसरो – वी.पी.एन (ISRO-VPN) नोड
- आपदा प्रबंधन में संचार सहायता के लिए टाइप – डी टर्मिनल, सैटलाइट मोबाइल रेडियो, सैट स्लीव आदि।
- इसरो –सी.एन.ई.एस-ओनेरा (ISRO-CNES-ONERA) संयुक्त का – बैंड प्रसार कार्यक्रम के तहत विभिन्न विभिन्न वैज्ञानिक उपकरण।
- नाविक परियोजना (इस्ट्रैक/इसरो नौवाहन परियोजना) के तहत प्रणाली।
चालू सैटकॉम अनुप्रयोग कार्यक्रम इस प्रकार हैः
टेलीमेडिसिन आज इसरो के सबसे महत्वपूर्ण सैटकॉम अनुप्रयोग कार्यक्रमों में से एक है। टेलीमेडिसिन कार्यक्रम उपग्रह संचार और सूचना प्रौद्योगिकी के लाभों जैव-चिकित्सा अभियांत्रिकी और चिकित्सा विज्ञान के साथ तालमेल बिठाने की एक अभिनव प्रक्रिया है ताकि देश के दूरस्थ, दूर और कम सेवा वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान की जा सकी। इसरो ने वर्ष 2001 में टेलीमेडिसिन पायलट परियोजना के रूप में टेलीमेडिसिन का उपयोग करते हुए टेलीमेडिसिन में एक विनीत शुरूआत की है, जो चेन्नई में अपोलो अस्पताल को आंध्र प्रदेश के चित्तौड़ जिले के अरोगोंडा गाँव में अपोलो ग्रामीण अस्पताल से जोड़ता है। अब पूरे देश में कई टेलीमेडिसिन नेटवर्क चालू है।
उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए इसरो – एन.ई.सी संयुक्त टेलीमेडिसिन परियोजना के रूप में जानी जानेवाली एक परियोजना जुलाई 2004 में सिक्किम सहित सभी उत्तर पूर्वी राज्यों के सभी जिलों में टेलीमेडिसीन नोड्स को चालू करने के लिए बहुत लघु द्वारक टर्मिनल (वी-सैट) के माध्यम से उप्गरह संचार का उपयोग करके तैयार की गई थी। टेलीमेडिसिन केंद्र की संख्या का राज्यवार विवरण हैः अरूणाचल प्रदेश – 8, असम – 23, मणिपुर – 9, मिज़ोराम – 7, मेघालय – 9, नागालैंड – 8, सिक्किम – 4 और त्रिपूरा – 4 । परियोजना का मुख्य उद्देश्य जिला स्तर के अस्पतालों को आधुनिक तकनीक का उपयोग करके न्यूनतम लागत पर बेहतर स्वास्थ्य सेवा के लिए क्षेत्र के साथ-साथ क्षेत्र के स्पेशलिटी / सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों से जोड़ना है। परियोजना के प्रमुख हितधारक इसरो, उत्तर पूर्वी परिषद (एन.ई.सी) और क्षेत्र की राज्य सरकारें हैं। एन.ई-सैक इसरो की ओर से सिस्टम की स्थापना और कमीशनिंग, प्रशिक्षण, निगरानी, समस्या निवारण आदि में परियोजना का समन्वय कर रहा है। अब तक कुल 25 टेलीमेडिसिन केंद्र चालू किए जा चुके हैं। एन.ई.आर के लिए आर्मी टेलीमेडिसिन नेटवर्क के रूप में जानी जानेवाली एक अन्य टेलीमेडिसिन परियोजना भी मार्च 2008 में भारतीय सेना के सहयोग उत्तर पूर्वी राज्यों में परिचालित है। इस नेटवर्क के तहत क्षेत्र के विभिन्न सैन्य अस्पतालों में कुल 6 टेलीमेडिसिन केंद्र स्थापित किए गए है। विभिन्न भिन्न नागरिक नेटवर्क के तहत, इसरो द्वारा एन.ई.आर में अन्य 9 टेलीमेडिसिन नोड्स स्थापित किए गए थे। ये 40 टेलीमेडिसिन केंद्र एन.ई.आर के लोगों को स्वास्थ्य क्षेत्र में सेवाएं प्रदान कर रहे है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली कई स्पेशलिटी / सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों को जोड़ने के लिए हज़ारों टेली-परामर्श और सतत चिकित्सा कार्यक्रम (सी.एम.ई) किए गए है; नारायण हृदयालय, बैंगलोर; अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, कोचीन; श्री रामचंद्र मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, चेन्नई; संजय गांधी पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ; टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई; फॉर्टिस अस्पताल, नोएडा आदि। इस स्वास्थ्य सेवा से बड़ी संख्या में मरीज़ के साथ-साथ डॉक्टर भी लाभान्वित हो रहे हैं। एन.ई-सैक एन.ई.आर में टेलीमेडिसिन कार्यक्रम को पुनर्जीवित करने की योजना बना रहा है।
राज्य का नाम | हब स्थान | SITs की संख्या | नोडल एजेंसी |
असम | SIRD एक्सटेंशन कैंपस, काहिकुची, गुवाहाटी |
32 | राज्य पंचायती राज संस्थान एवं विकास, असम सरकार |
मेघालय | शिक्षा निदेशालय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, शिलांग |
47 | शैक्षिक अनुसंधान निदेशालय एवं प्रशिक्षण, मेघालय सरकार |
अरूणाचल प्रदेश | राजीव गांधी विश्वविद्यालय, ईटानगर | 51 | राजीव गांधी विश्वविद्यालय |
त्रिपूरा | राज्य शिक्षा परिषद, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, अभयनगर |
50 | राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद एवं प्रशिक्षण, त्रिपूरा सरकार |
मिज़ोराम | राज्य शिक्षा परिषद, अनुसंधान एवं प्रशिक्षण, आईज़ल |
50 | राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद एवं प्रशिक्षण, मिज़ोराम सरकार |
नागालैंड | आईटी और संचार भवन, कोहिमा, |
45 | आईटी और संचार विभाग, नागालैंड सरकार |
सिक्किम | राज्य शिक्षा परिषद, अनुसंधान और प्रशिक्षण, गैंगटोक |
50 | राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद एवं प्रशिक्षण,, सिक्किम सरकार |
मणिपुर | मेघालय के साथ हब सुविधा साझा करना | 25 | राज्य शैक्षिक अनुसंधान परिषद एवं प्रशिक्षण, मणिपुर सरकार |
एन.ई-सैक के पास आपदा की स्थिति में संचार सहायता के लिए अत्याधुनिक सैटकॉम सुविधा है। एन.ई-सैक एक ऐसे क्षेत्र में स्थित है जो भूकंप, बाढ़, चक्रवात, भूस्खलन आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं की चपेट में है, इसका एक अधिदेश अपनी सैटकॉम सुविधाओं के माध्यम से आपदाओं के समय क्षेत्र का समर्थन करना है।
इस काम के लिए, एन.ई-सैक में एक इसरो– डी.एम.एस– वी.पी.एन (ISRO-DMS VPN) नोड है जो राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, नई दिल्ली के साथ- साथ सभी एन.ई.आर राज्यों के राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से जीसैट (GSAT) उपग्रह की बैंडविड्थ का उपयोग करके वीसैट (VSAT) आधारित सैटकॉम लिंक के माध्यम से जुड़ा हुआ है। इस सुविधा से वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा ट्रांसफर संभव है। एक साथ मल्टि पार्टी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने के लिए एन.ई.आर-डी.आर.आर सुविधा में एक वीडियो वॉल भी लगाई गई है।
एन.ई-सैक के पास वीसैट (डब्ल्यू.एल.एल-वीसैट) [VSAT (WLL-VSAT)] सुविधा का उपयोग करते हुए स्थानीय लूप में एक ट्रांसपोर्टेबल वायरलैस भी है जिसे किसी आपदा स्थान पर ले जाया जा सकता है जहां कुछ प्राकृतिक आपदा के कारण पारंपरिक संचार सुविधाएं समाप्त हो गई है और अपने संचालन के क्षेत्र में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, वॉयस टेलीफोन और डेटा ट्रांसफर क्षमताओं को प्रदान कर सकता है।
इसके अलावा, एन.ई-सैक में पोर्टेल सैटलाइट फोन भी है जैसे – INSAT टाइप – डी टर्मिनल, GSAT-6 आधारित सैटेलाइट मोबाइल रेडियो, ब्रॉटकास्ट रिसीवर, रिपोर्टिंग टर्मिनल और सैट- स्लीव टर्मिनल। एन.ई-सैक ने मेघालय पुलिस को रणनीतिक उपयोग के लिए 10 एस.एम.आर भी वितरित किए है।
एन.ई-सैक में सामग्री निर्माण और प्रसारण के लिए एक पूर्ण विकसित स्टूडियो सुविधा है। यह क्षमता निर्माण के लिए विभिन्न विषयों पर गुणवत्ता मल्टिमीडिया सामग्री निर्माण के लिए सभी आवश्यक हार्डवायर और सॉफ्टवायर से सुसज्जित है। एन.ई-सैक ने एन.डी.आर.एफ, ए.बी.आई.टी.ए-जी.के.यू.पी (NDRF,ABITA-GKUP) आदि के विशेषज्ञों के साथ-साथ एन.ई-सैक के वैज्ञानिकों की मदद से स्टूडियों में विभिन्न उपयोगकर्ता विभागों के लिए मल्टीमीडिया सामग्री तैयार की है।
इसरो- सी.एन.ई.एस- ओनेरा (ISRO-CNES-ONERA) संयुक्त का-बैंड प्रसार प्रयोग एन.ई-सैक में बीकन रिसीवर्स, रेन गेज, लेसर वर्णण मॉनिटर, ह्यूमिडिटी प्रोफाइलिंग रेडियोमीटर आदि जैसे परिष्कृत उपकरणों के साथ परिचालित है। यह मूल रूप से विभिन्न मौसम संबंधी स्थितियों जैसे वर्षा, ओलावृष्टि, बादल आदि के कारण भूसंचार संकेत (20-30 GHz रेंज) के लिए का-बैंड उपग्रह के क्षीणन का अध्ययन है। वर्षा क्षीणन के लिए आई.टी.यू मॉडल भारत जैसे उष्ण कटिबंधीय उच्च वर्षा क्षेत्रों में सिग्नल क्षीणन की भविष्यवाणी करने के लिए अपर्याप्त साबित हुआ है । इसलिए, भारत में का-बैंड सिग्नल क्षीणन को ठीक से मॉडल करने के लिए एक अधिक विस्तृत इन-सीटू अध्ययन की आवश्यकता है क्योंकि भारत में उच्च बैंडविड्थ अनुप्रयोगों के लिए का-बैंड सिग्नल का उपयोग करने की बढ़ती मांग है। यह प्रयोग जी-सैट -14 उपग्रह पर दो बीकन ट्रांसमीटरों की मदद से किया जा रहा है और एन.ई-सैक में 2016 से चालू है।
एन.ई-सैक के पास सैटकॉम प्रौद्योगिकी के माध्यम से अन्य इसरो/अं.वि. केंद्रों से जुड़ने के लिए एक इसरो नेट सुविधा है। इस सुविधा के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और डेटा ट्रांसफर संभव है।
एन.ई-सैक में एक नाविक ग्राउंड स्टेशन है, जिसे आई.आर.सी.डी.आर भी कहा जाता है। स्टेशन का ररखाव इस्ट्रैक, इसरो द्वरा किया जाता है और इस्ट्रैक, इसरो इंजीनियरों द्वारा संचालित किया जाता है। आई.आर.सी.डी.आर 11 मीटर परवलयिक परावर्तक डिश एंटीना को रिमोट कंट्रोल करने के लिए सैटकॉम और टेराकॉम के माध्यम से आई.आर.सी.डी.आर और आई.एन.सी, ब्यालालू के बीच संचार लिंक स्थापित किया गया है।