एनईसैक ने 18-29 नवंबर, 2024 के दौरान एनईसैक आउटरीच सुविधा में “जल संसाधन और बाढ़ प्रबंधन में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के अनुप्रयोग” पर दो सप्ताह का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया। भारत के विभिन्न भागों से सरकारी विभागों और शिक्षाविदों से कुल 18 प्रतिभागियों ने इस पाठ्यक्रम में भाग लिया।
18 नवंबर, 2024 को उद्घाटन सत्र की शुरुआत डॉ. दिगंत बर्मन, प्रमुख, डब्ल्यूआरडी के स्वागत भाषण से हुई, जिसके बाद श्री शानबोर कुरबाह, वैज्ञा./अभि.-एसडी और प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम अधिकारी द्वारा पाठ्यक्रम का अवलोकन किया गया। डॉ. लाला आई पी रे, प्रोफेसर, सीएयू-सीपीजीएस, उमियम ने मुख्य अतिथि के रूप में उद्घाटन सत्र की शोभा बढ़ाई। श्री रंजीत दास, वैज्ञा./अभि.-एसएफ ने सत्र के अंत में औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन दिया।
पाठ्यक्रम में 14 सैद्धांतिक कक्षाएं और 10 व्यावहारिक सत्र शामिल थे, जिसमें बुनियादी से लेकर उन्नत स्तर तक के विषयों को शामिल किया गया था, जैसे – रिमोट सेंसिंग और जीआईएस की बुनियादी बातें, हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग, हाइड्रोडायनामिक मॉडलिंग, बांध टूटने की मॉडलिंग, वाटरशेड प्राथमिकता और मृदा अपरदन अनुमान की बुनियादी बातें, बाढ़ की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव, LiDAR और माइक्रोवेव रिमोट सेंसिंग। व्यावहारिक सत्रों में HEC-HMS, QGIS, HEC-RAS, SNAP और GEE का उपयोग भी पेश किया गया है।
निदेशक, एनईसैक के द्वारा “जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी” पर एक विशेष व्याख्यान दिया गया, जिसमें जलवायु और आपदा संबंधी घटनाओं की वर्तमान प्रवृत्ति को बेहतर ढंग से समझने में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के महत्व पर जोर दिया गया।
पाठ्यक्रम का समापन 29 नवंबर, 2024 को आयोजित समापन कार्यक्रम के साथ हुआ। श्री शानबोर कुरबाह, पाठ्यक्रम अधिकारी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और दो सप्ताह के पाठ्यक्रम का सारांश प्रस्तुत किया। डॉ. दिगंत बर्मन, पाठ्यक्रम निदेशक ने प्रतिभागियों को संबोधित किया, सभी को अपने विकासात्मक नियोजन और शासन के लिए इन शक्तिशाली प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम का समापन श्री रंजीत दास, वैज्ञा./अभि. एसएफ द्वारा दिए गए धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।