एनईसैक ने 5 से 9 मई, 2025 के दौरान जीआईएस-आधारित मास्टर प्लान के निर्माण पर अमृत 2.0 उप-योजना के तहत टियर-1 अधिकारियों के लिए एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित किया।
इस कार्यक्रम में नागालैंड, मिज़ोरम, केरल, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश के राज्य नगर नियोजन विभागों, शहरी स्थानीय निकायों और विकास प्राधिकरणों के अधिकारी एक साथ आए। प्रशिक्षण शहरी नियोजन के लिए अंतरिक्ष-आधारित भू-स्थानिक तकनीकों के लाभ उठाने पर केंद्रित था, जिसमें जीआईएस-आधारित मास्टर प्लान तैयार करने, डिजिटल उपकरणों और स्मार्ट सिटी पहलों पर व्याख्यान और व्यावहारिक अभ्यास शामिल थे।
उद्घाटन सत्र की शुरुआत डॉ. जेनिता एम. नॉन्गकिनरिह, प्रमुख, शहरी एवं क्षेत्रीय नियोजन प्रभाग, एनईसैक द्वारा स्वागत भाषण और पाठ्यक्रम अवलोकन के साथ हुई, जिसमें कार्यक्रम के उद्देश्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। टीसीपीओ, नई दिल्ली के मुख्य नगर नियोजक श्री एन.के. धीरन ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और राज्य सरकारों के लिए भू-स्थानिक नियोजन में क्षमता निर्माण के महत्व पर बल दिया। श्री मोनिस खान, नगर एवं ग्राम नियोजक, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी में सरकारी पहल पर एक विशेष सत्र का संचालन किया गया, जिसमें ओपन डेटा पोर्टल, मोबाइल ऐप और भू-स्थानिक नीतियों पर चर्चा की गई। एनआरएससी के श्री अरुलराज ने भू-स्थानिक डेटा स्रोतों पर अतिथि व्याख्यान दिया, जिसमें भुवन और भू-निधि पोर्टल का प्रदर्शन भी शामिल था।
एनईसैक के निदेशक डॉ. एसपी अग्रवाल ने प्रतिभागियों के साथ बातचीत की और चर्चा की कि कैसे जियोएआई और डिजिटल ट्विन्स शहरी नियोजन में बदलाव ला रहे हैं, बेहतर बुनियादी ढाँचे के विकास, जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन और संसाधन अनुकूलन को संभव बना रहे हैं। कार्यक्रम का समापन एक समापन सत्र के साथ हुआ, जहाँ श्री ई. खरमलकी, आईएएस (सेवानिवृत्त) और शहरी मामलों के विभाग के पूर्व निदेशक ने अपने विचार साझा किए और प्रतिभागियों की सराहना की। इस कार्यक्रम में 20 अधिकारियों ने भाग लिया और एनईसैक की ओर से वैज्ञानिक ‘एसई’ श्री शांतनु दास ने इसका समन्वय किया, जिससे शहरी शासन में भू-स्थानिक अनुप्रयोगों को आगे बढ़ाने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता को बल मिला।