“कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में आर. एस और जी.आई.एस का अनुप्रयोग” पर चौथा दो सप्ताह का लघु पाठ्यक्रम 21 अगस्त से 1 सितंबर, 2023 तक एनईसैक बाह्य-जनसंपर्क (आउटरीच) सुविधा, उमियम में आयोजित किया गया था। पाठ्यक्रम के लिए उनतीस प्रतिभागियों को नामांकित किया गया था, जिनमें राज्य कृषि और बागवानी विभागों, मत्स्य पालन विभागों, रेशम उत्पादन विभागों के अधिकारी, कॉलेज और विश्वविद्यालयों के संकाय सदस्य, वैज्ञानिक, अनुसंधान विद्वान और स्नातकोत्तर छात्र शामिल थे।
उद्घाटन कार्यक्रम 29 अगस्त, 2023 को डॉ. बी.के.हैंडिक, प्रमुख ए.एस.डी और पाठ्यक्रम निदेशक द्वारा पाठ्यक्रम अनुसूची पर स्वागत और ब्रीफिंग के साथ शुरू किया गया था। डॉ. एस.पी.अग्रवाल, निदेशक, एनईसैक ने पाठ्यक्रम के सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया तथा कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में भूस्थानिक प्रौद्योगिकियों के महत्व पर प्रकाश डाला। उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. प्रदीप कुमार बोरा, निदेशक, नेरीवालम (NERIWALM), तेजपुर को आमंत्रित किया गया था।
दो सप्ताह के प्रशिक्षण के दौरान कुल 15 सैद्धांतिक कक्षाएं और 11 व्यवहारिक सत्र आयोजित किए गए। दो अतिथि संकायों, अर्थात डॉ. करुण चौधरी (प्रमुख, सी.ए.डी, एन.आर.एस.सी) और डॉ. रोज़लिन त्रिपाठी, वैज्ञानिक एस.एफ, अहमदाबाद ने क्रमशः “फसल क्षति मूल्यांकन और फसल बीमा” और “फसल उपज मॉडलिंग” पर व्याख्यान दिए। 26 अगस्त 2023 को सोहरा में एक क्षेत्रीय दौरा आयोजित किया गया, जहां डॉपलर मौसम रडार पर गतिविधियों का प्रदर्शन किया गया। 6 समूहों को पांच अलग-अलग लघु परियोजनाएं सौंपी गई, जिनमें से प्रत्येक प्रासंगिक कृषि क्षेत्रों पर केंद्रित थी, जिसे प्रतिभागियों ने सावधानीपूर्वक पूरा किया।
समापन कार्यक्रम 1 सितंबर, 2023 को आयोजित किया गया था और प्रोफेसर डी ठाकुरिया, डीन, सीए (सी.ए.यू-I) किर्डेमकुलई को इस कार्यक्रम के लिए मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। समापन सत्र के दौरान पाठ्यक्रम समापन प्रमाण-पत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम का समापन डॉ. प्रदेश जेना, पाठ्यक्रम अधिकारी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।