वानिकी और पारिस्थितिकी प्रभाग (एफईडी), एनईसैक द्वारा 08-19 सितंबर, 2025 के दौरान एनईसैक आउटरीच सुविधा में “वानिकी और पारिस्थितिकी में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस अनुप्रयोग” पर दो सप्ताह का लघु पाठ्यक्रम आयोजित किया गया था। पाठ्यक्रम में कुल 21 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के वन विभागों के अधिकारी और क्षेत्रीय कर्मचारी, विश्वविद्यालय के संकाय, गैर सरकारी संगठनों के पेशेवर, शोध छात्र और छात्र शामिल थे। उद्घाटन कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. कस्तूरी चक्रवर्ती, प्रमुख, एफईडी के स्वागत भाषण से हुई। श्रीमती एच. सुचित्रा देवी, पाठ्यक्रम निदेशक ने पाठ्यक्रम का अवलोकन प्रस्तुत किया और उसके बाद प्रतिभागियों का परिचय कराया। डॉ. के. के. शर्मा, समूह प्रमुख, आरएसएजी ने अपने विचार साझा किए और प्रतिभागियों को प्रशिक्षण का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. एस. पी. अग्रवाल, निदेशक, एनईसैक ने उद्घाटन भाषण दिया तथा वानिकी अनुप्रयोगों में भूस्थानिक प्रौद्योगिकी की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. के. रविचंद्रन, आईएफएस, निदेशक, भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम) को उद्घाटन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने वन एवं वन्यजीव प्रबंधन के लिए उपकरणों एवं प्रौद्योगिकियों पर व्याख्यान दिया।
पाठ्यक्रम में रिमोट सेंसिंग, जीआईएस, जीपीएस की मूलभूत अवधारणाएं तथा रिमोट सेंसिंग डेटा और प्रासंगिक सॉफ्टवेयर के साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल था। उपग्रह इमेजरी और इसके वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों का व्यावहारिक प्रदर्शन प्रदान करने के लिए, 13 सितंबर, 2025 को सोहरा का एक क्षेत्रीय दौरा किया गया, साथ ही 12 सितंबर, 2025 को एनईसैक की सुविधा का दौरा भी किया गया। प्रतिभागियों द्वारा चार समूह-वार लघु परियोजनाएँ संचालित की गईं। प्रत्येक समूह के प्रमुख सदस्य द्वारा परियोजना के परिणाम प्रस्तुत किए गए। पाठ्यक्रम का समापन कार्यक्रम 19 सितंबर, 2025 को आयोजित किया गया, जिसके दौरान डॉ. ध्रुवल भावसार, पाठ्यक्रम अधिकारी द्वारा पाठ्यक्रम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। निदेशक, एनईसैक द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए, तत्पश्चात प्रतिभागियों के साथ उनकी बातचीत हुई। कार्यक्रम का समापन डॉ. कस्तूरी चक्रवर्ती, प्रमुख, एफईडी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।


